चंंडीगढ़ के युवाओं के लिए नौकरियों में विशेष कोटा दिए जाने की मांग उठने लगी है। शहर के विभिन्न संगठन मांग कर रहे हैं कि चंडीगढ़ के युवाओं का नौकरियों में कोटा तय किया जाए।इससे शहर में बेरोजगारी को कम किया जा सकता है। इसी मुद्दे को लेकर चंडीगढ़ीयन सोशल ग्रुप ने नगर निगम मेयर सरबजीत कौर से भी मुलाकात की। ग्रुप सदस्यों ने शहर के युवाओं को नौकरी में विशेष तवज्जो देने की बात कही। उन्होंने कहा कि इस पर नियम बनाने की जरूरत है।
ग्रुप मेंबर राज चड्ढा ने कहा कि दूसरे राज्य अपने यहां के युवाओं को डोमीसाइट का फायदा देते हैं, जिस कारण चंडीगढ़ के युवाओं को दूसरे राज्यों में नौकरी नहीं मिल पाती और शहर में ऐसा कोई नियम न होने के कारण दूसरे राज्यों के युवाओं को नौकरी मिल जाती है। नगर निगम ने पिछले दिनों जो भर्ती की है उसमें भी दूसरे राज्यों के युवाओं को ही नौकरी मिली है।
ग्रुप मेंबर्स ने आरोप लगाया कि अस्थायी कर्मचारियों की गुपछुप तरीके से भर्ती हो रही है। जबकि अस्थायी कर्मचारियों की भर्ती का भी विज्ञापन निकालना चाहिए। शहर और गांव के युवाओं का नौकरियों में 75 फीसद का कोटा होना चाहिए।
मेयर से मुलाकात के दौरान आर्गेनिक शेयरिंग के संस्थापक राहुल महान ने कहा कि नगर निगम हो या फिर चंडीगढ़ प्रशासन यहां पर अधिकतर कर्मचारी आउटसोर्स पर है, जिनकी नियुक्तियां चुपचाप सरकारी उच्च अधिकारी ही बंद दरवाजे के पीछे कर लेते हैं। इसकी जानकारी न तो किसी अखबार में होती है न ही सरकारी वेबसाइट पर। जबकि यह पैसा शहर के टैक्स से इन कर्मचारियों को वेतन के रूप में ठेकेदार को दिया जाता है।लोग चाहते हैं कि आउटसोर्स नोकरियों का नोटिफिकेशन भी सार्वजनिक रूप से जारी करना चाहिए और चंडीगढ़ के बच्चों को 75 प्रतिशत कोटा मिलना चाहिए।
गौरतलब है कि चंडीगढ़ में ऐसा कोई कोटा तय नहीं है। चंडीगढ़ पंजाब व हरियाणा की राजधानी है, लेकिन यह दोनों राज्य शहर के युवाओं को अपने यहां पर नौकरियों और दाखिलों में कोटा नहीं देते हैं। नरेश कोहली का कहना है कि शहर के युवाओं में लगातार बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। राजनीतिक दल भी युवाओं के हित में यह काम नहीं करवा रहे हैं।