अबतक सेना में शहीदों के भाई अथवा बेटों को ही अनुकम्पा के आधार पर नौकरी मिल सकती थी, लेकिन अब केंद्र सरकार शहीदों की बहन और बेटी को भी अनुकंपा आधार पर नौकरी देने पर गंभीरता से विचार कर रही है। रक्षा मंत्रालय की संसदीय समिति की सिफारिश के बाद सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है और सेना में चल रहे सुधार कार्य की कड़ी में यह पहल की जा रही है। संसदीय समिति ने यह सिफारिश इस प्रकार की नियुक्तियों को जेंडर न्यूट्रल बनाने के लिए की है।
अभी तक मौजूदा नियमों के मुताबिक, यदि सेना के किसी भी रैंक का जवान युद्ध में शहीद होता है तो सेना तत्काल उसके एक बेटे को सेना में नियुक्ति प्रदान करती है। यदि उस बेटे की उम्र कम है तो उसे इंतजार करना होता है। लेकिन बेटी के लिए नियुक्ति का अभी कोई भी विकल्प नहीं है। यदि शहीद हुआ जवान अविवाहित है तो उसके एक सगे भाई को यह मौका दिया जाता है लेकिन बहन के लिए कोई विकल्प नहीं है। लेकिन यदि शहीद विवाहित था लेकिन कोई बच्चे नहीं हैं या लड़का नहीं है, या छोटा है तो भी सगे भाई को मौका दिया जाता है लेकिन शर्त यह होती है कि वह शहीद की विधवा से शादी करे।
सेना में अनुकम्पा के आधार पर नियुक्ति के नियम उस समय से हैं जब सेना में महिलाओं की भर्ती नहीं होती थी। परन्तु आज सेना के तीनो अंगों में महिला सैनिक हैं, इसलिए इस सिफारिश पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। हाल ही में सेना में मिलिट्री पुलिस के रूप में महिला सैनिकों की भर्ती की जा रही है। वायु और नौसेना में भी महिला जवानों के लिए इसी साल से भर्ती खोल दी गई है।