चंडीगढ़ के चारों तरफ बनने वाला रिंग रोड कारीडोर प्रोजेक्ट दस साल बाद भी पूरा नहीं हो पाया है। 2013 में इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ था, वर्ष 2022 भी आधा बीत चुका है लेकिन अभी भी प्रोजेक्ट की अड़चने दूर नहीं हुई हैं।
परिणाम यह है कि सीधे निकलने वाले ट्रैफिक को भी बेवजह शहर के बीच जाम में फंसकर समय बर्बाद करना पड़ता है। इस ट्रैफिक की वजह से चंडीगढ़ की सड़कों पर वाहनों का बोझ लगातार बढ़ा है।
अब इस रिंग रोड कारीडोर को पूरा कराने के लिए यूटी प्रशासन ने अपने स्तर पर ही प्रयास शुरू कर दिए हैं। हालांकि यह पूरा प्रोजेक्ट ही चंडीगढ़ से बाहर पंचकूला और मोहाली की जमीन पर डेवलप होना है। इसलिए चंडीगढ़ इसमें ज्यादा कुछ कर नहीं सकता। पंजाब और हरियाणा को ही इस पर काम करना है।
इस प्रोजेक्ट के लिए गठित ट्राईसिटी कोआर्डिनेशन कमेटी की मीटिंग करने के लिए चंडीगढ़ ने लिखा है, जिससे इस प्रोजेक्ट की अड़चनों को दूर कर इसे किसी तरह पूरा किया जा सके। इसके लिए पंजाब और हरियाणा को चंडीगढ़ रिमाइंडर भेज रहा है। सांसद किरण खेर भी इस मामले में सवाल उठा चुकी हैं। वह भी बाहरी वाहनों के लिए रिंग रोड का काम जल्द पूरा करने के लिए कह चुकी हैं।