इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498 ए के दुरुपयोग को रोकने के लिए कुछ दिशानिर्देश जारी किए। न्यायालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों में से एक में कहा गया है कि 498ए आईपीसी के तहत एफआईआर दर्ज होने के बाद दो महीने के कूलिंग ऑफ पीरियड के दौरान आरोपी के खिलाफ कोई गिरफ्तारी या दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निम्नलिखित निर्देश जारी किए हैं:

  1. FIR करने के बाद “कूलिंग-पीरियड” जो कि FIR करने के दो महीने बाद है, समाप्त किए बिना कोई गिरफ्तारी या पुलिस कार्रवाई नहीं की जाएगी। इस “कूलिंग-पीरियड” के दौरान, मामले को तुरंत प्रत्येक जिले में परिवार कल्याण समिति को भेजा जाएगा। केवल वे मामले जिसमें धारा 498-ए आईपीसी के साथ, चोट नहीं, 307 और आईपीसी की अन्य धाराएं जिनमें 10 वर्ष से कम कारावास है को एफडब्ल्यूसी को भेजा जाएगा ।
  2. प्रत्येक जिले में कम से कम एक या अधिक एफडब्ल्यूसी में कम से कम तीन सदस्य होंगे। उक्त एफडब्ल्यूसी में निम्नलिखित सदस्य शामिल होंगे: – (ए) जिले के मध्यस्थता केंद्र से एक युवा मध्यस्थ या पांच साल तक के युवा एडवोकेट, या; (बी) उस जिले के जाने-माने और मान्यता प्राप्त सामाजिक कार्यकर्ता जिनका स्वच्छ इतिहास है, या; (सी) सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारी जो वहीं या उसके आस-पास के जिले में रह रहे हैं, जो कार्यवाही के उद्देश्य के लिए समय दे सकते हैं या; (डी) जिले के वरिष्ठ न्यायिक या प्रशासनिक अधिकारियों की शिक्षित पत्नियां।
  3. एफडब्ल्यूसी के सदस्य को कभी भी गवाह के रूप में नहीं बुलाया जाएगा। समिति लड़ने वाले पक्षों को उनके चार वरिष्ठ बुजुर्गों के साथ व्यक्तिगत बातचीत करने के लिए बुलाएगी और उनके बीच के मुद्दे / गलतफहमी को दूर करने का प्रयास करेगी। समिति विचार-विमर्श करने के बाद इस मामले में एक रिपोर्ट तैयार करेगी और संबंधित मजिस्ट्रेट/पुलिस अधिकारियों को सौपेंगी हैं।

न्यायालय 498 ए के मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि अगर भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए का बिना सोचे-समझे बड़े पैमाने पर दुरुपयोग होता रहा तो हमारी सदियों पुरानी विवाह संस्था की पारंपरिक सुगंध पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी।

सम्बंधित केस में पत्नी ने अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ दर्ज कराई थी, जिसमें उसने अन्य बातों के साथ-साथ आरोप लगाया था कि उसका ससुर उससे यौन संबंध बनाना चाहता था और उसका देवर भी उसे शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने का प्रयास करता था। उसका पति उसका मोबाइल फोन छीनकर उसे बाथरूम में बंद कर देता था और उसकी सास और भाभी ने गर्भपात के लिए दबाव डाला। उनके मना करने पर परिवार के सभी सदस्य उसके साथ मारपीट करने लगे।

पत्नी द्वारा करवाई गयी एफआईआर को ध्यान में रखते हुए अदालत ने कहा कि एफआईआर अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ गंदे और जहरीले आरोपों से भरी है।”

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