कोलकाता में पहली बार, आर जी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के डॉक्टरों और पश्चिम बंगाल यूनिवर्सिटी ऑफ एनिमल एंड फिशरी साइंसेज के वैज्ञानिकों के एक समूह ने एक बकरी के कान के कार्टिलेज का उपयोग कर 25 लोगों की सफलतापूर्वक प्लास्टिक सर्जरी की है।
कई मामलों में, दुर्घटना के दौरान नाक या कान क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। शोधकर्ताओं और डॉक्टरों के एक समूह ने एक बकरी के कान के कार्टिलेज को इस्तेमाल करके लोगों के कान और नाक पर प्लास्टिक सर्जरी की है। जिनकी प्लास्टिक सर्जरी हुई है वे सभी फिट हैं। इन सभी को लोगों को तीन साल से निगरानी में रखा गया है।
फटे होंठ, कटे तालू, मुड़े हुए कान (माइक्रोटिया) के ठीक करने के लिए, प्लास्टिक सर्जरी से गुजरना पड़ता है। यह प्रक्रिया न केवल महंगी है, बल्कि काफी कठिन भी है। ऐसे उदाहरण हैं जब मानव शरीर इम्प्लांट्स को लंबे समय तक स्वीकार नहीं करता है। उन लोगों के लिए यह प्रक्रिया एक वरदान की तरह साबित हो सकती है। इस प्रक्रिया में इलाज की लागत बहुत कम होगी।
इस खोज के लिए शोधकर्ताओं को भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग से पेटेंट भी प्राप्त हुआ है।