भारत में भी मंकीपॉक्स की दस्तक होती हुई दिख रही है। केरल में मंकीपाक्स का एक संदिग्ध मामला सामने आया है। संयुक्त अरब अमीरात से लौटे व्यक्ति में मंकीपाक्स के लक्षण दिखने के बाद उसे केरल के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जार्ज ने जानकारी देते हुए कहा कि यात्री के नमूने पुणे में नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी को परीक्षण के लिए भेजे गए हैं, परीक्षण के परिणाम प्राप्त होने के बाद ही मामले की पुष्टि की जा सकती है। उन्होंने ने बताया कि उक्त व्यक्ति खुद ही जांच के लिए आगे आया, जब उसे पता लगा कि संयुक्त अरब अमीरात में जिस व्यक्ति के संपर्क में वो था, वह व्यक्ति मंकीपॉक्स पॉजिटिव आया है। संदिग्ध मरीज को आइसोलेट कर निगरानी में रखा गया है।

उन्होंने ने भरोसा दिलवाया कि संदिग्ध मरीज भारत में आने के बाद ज्यादा लोगों के संपर्क में नहीं आया है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि डॉक्टरों ने बताया है कि यह बीमारी सिर्फ मरीज़ के बहुत नज़दीकी लोगों में ही फ़ैल सकती है और इस बिमारी का इलाज संभव है।

हालाँकि राज्य के स्वास्थय विभाग के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार राज्य में किये गए टेस्टों में व्यक्ति में वायरस होने की पुष्टि हुई है लेकिन राष्ट्रीय स्वस्थ निति के अनुसार इसकी घोषणा नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी, पुणे से पुष्टि होने पर ही की जाएगी।

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, मंकीपाक्स एक जानवरों से मनुष्यों में प्रसारित होने वाला वायरस है, जिसमें चेचक के रोगियों जैसे लक्षणों के समान लक्षण होते हैं, हालांकि यह चेचक से से कम गंभीर है। मंकीपॉक्स वायरस घावों, शरीर के तरल पदार्थ, तौलिया, कपडे और बिस्तर जैसी  सामग्री के निकट संपर्क से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है।

अब तक 63 देशों में इस बीमारी के मरीज़ मिल चुके हैं। आइसीएमआर ने देश की 15 प्रमुख प्रयोगशालाओं में मंकीपास्क की टेस्टिंग को स्वीकृति दी है।

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