इंदिरानगर निवासी रोहित शर्मा को परिवार के साथ जम्मूतवी जाना है। यहां के लिए ट्रेन की स्लीपर क्लास में 10 से 12 जून तक वेटिंग का टिकट भी नहीं मिल पा रहा है।अब तत्काल कोटे से कंफर्म सीट की उम्मीद बनी है। तत्काल कोटे की राह भी आसान नहीं है। रेल आरक्षण केंद्रों पर चार से पांच घंटे लंबी लाइन लगने के बाद कंफर्म सीट हासिल करने की उम्मीद 30 से 35 सेकेंड में ही टूट रही है।

रेलवे की लापरवाही का खामियाजा रोहित शर्मा जैसे सैकड़ों यात्री भुगत रहे हैं। इस बार रेलवे की ओर से लंबी वेटिंग लिस्ट के यात्रियों को राहत देने के लिए पर्याप्त इंतजाम ही नहीं किए गए। स्पेशल ट्रेनों की संख्या नगण्य है। जम्मूतवी के अलावा चंडीगढ़, देहरादून और मुंबई जाना मुश्किल हो गया है। रेलवे हर साल एक अप्रैल से एक जुलाई तक लखनऊ होकर अहमदाबाद, बरौनी, मुंबई, दिल्ली, बठिंडा, जम्मूतवी सहित 15 स्टेशनों के लिए 22 से 26 ट्रेनें चलाता था।

नियमित ट्रेनों में लंबी वेटिंग से परेशान यात्रियों को इन स्पेशल ट्रेनों में कंफर्म सीटें मिल जाती थी। रेलवे ग्रीष्मकालीन स्पेशल ट्रेनों के लिए टाइम टेबल और प्लेटफार्म भी तय कर देता था। अबकी बार इन ट्रेनों की संख्या दो से तीन ही रह गई है। मुंबई, जम्मूतवी, चंडीगढ़, और देहरादून जैसे शहरों को जाने वाली ट्रेनों में कई तिथियों पर वेटिंग के टिकट तक नहीं मिल पा रहे हैं।

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