चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड (सीएचबी) अतिक्रमण और अवैध निर्माण के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति अपना रहा है। अब जहां कहीं भी अतिक्रमण की सूचना मिलती है बोर्ड की टीम इसे तोड़ने पहुंच जाती है।अगर ऐसी ही जिम्मेदारी सीएचबी के पुराने सभी अधिकारियों ने की होती और अपनी कर्तव्य का निर्वहन ईमानदारी से किया होता तो कभी भी शहर का हाल ऐसा न होता जैसा अब है।
चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के पुराने अधिकारियों खासकर इंस्पेक्शन टीम की लापरवाही का ही नतीजा है कि बोर्ड के 60 हजार से अधिक घरों में लोगों ने जरूरत अनुसार बदलाव कर लिए। इन बदलाव को न तो बोर्ड से मंजूरी मिल रही है और न ही कोई रास्ता आजतक निकल पाया है। नतीजा यह है कि यह बदलाव अब अलाटियों के लिए गले की फांस बन गए हैं।
अब सीएचबी में तैनात चीफ एग्जीक्यूटिव आफिसर यशपाल गर्ग इतने सख्त हैं कि वह जीरो टालरेंस की नीति का सख्ती से पालन करा रहे हैं। बिना किसी दबाव के अतिक्रमण के खिलाफ जबरदस्त अभियान चला रहे हैं। जहां कहीं भी फ्रेश अवैध कंस्ट्रक्शन की सूचना मिलती है वहां तुरंत बोर्ड की टीम पहुंचती है। मौके पर ही चालान करती है और कंस्ट्रक्शन रोकने के लिए कहती है। इसके बाद इस अवैध निर्माण को हटाने के लिए कहती है। अगर इसके बाद भी कोई निर्माण करता है और पहले किए निर्माण को नहीं तोड़ता है तो उस पर कार्रवाई करने के लिए बोर्ड का बुलडोजर पहुंच जाता है।
इस नीति और बुलडोजर का डर ही है जो पहली बार बोर्ड के अलाटी खुद ही अब अवैध निर्माण हटाने लगे हैं। डड्डूमाजरा के छह मकानों से अतिक्रमण हटाया गया। एक मकान से अतिक्रमण को बोर्ड की टीम ने हटाया। जबकि पांच मकानों से लोगों ने खुद ही अतिक्रमण हटा दिया।
बता दें कि सीएचबी की टीम जब अतिक्रमण हटाती है तो बुलडोजर और दूसरी मशीनों का इस्तेमाल करती है जिससे ज्यादा नुकसान होता है। कई बार तो आसपास के मकानों को भी क्षति होती है। दूसरे मकानों में नुकसान की भरपाई भी उसी अलाटी से की जाती है, जिसकी वजह से यह नुकसान हुआ है। इस डर से अब लोगों ने खुद ही अतिक्रमण हटाना शुरू कर दिया है।
बोर्ड ने जिस मकान से अतिक्रमण हटाया है। अब पूरी डिमोलिशन ड्राइव पर आए खर्च की गणना शुरू कर दी है। इसे अलाटी से ही वसूल किया जाएगा। अगर वह इसकी पेमेंट नहीं करता है तो उसके मकान की अलाटमेंट रद होगी। मंगलवार को भी डड्डूमाजरा के तीन मकानों से सीएचबी ने अतिक्रमण हटाया था। इन सभी नौ मामलों में अतिक्रमण गवर्नमेंट जमीन पर किया गया था। एक मकान में तो बिजली के खंभे तक को चहारदीवारी के अंदर कर लिया गया था।