पंजाब में सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत बुजुर्गों को दी जा रही बुढ़ापा पेंशन में धांधली का बड़ा खुलासा हुआ है। भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी बीते वर्ष की रिपोर्ट में कहा है कि राज्य में ऐसे लोगों को भी बुढ़ापा पेंशन दी जाती रही, जिनकी मृत्यु तीन साल पहले हो चुकी थी।एक लाख से ज्यादा ऐसे लोगों का भी पता चला जो बुढ़ापा पेंशन के लिए निर्धारित उम्र से भी कम आयु के थे। कैग ने यह भी खुलासा किया है कि इस धांधली के सबसे ज्यादा मामले पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के जिले पटियाला में सामने आए हैं।
पंजाब विधानसभा के बजट सत्र के पांचवें दिन बुधवार को सदन में कैग की वार्षिक रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट में सामाजिक सुरक्षा स्कीम में फर्जीवाड़े का खुलासा करते हुए कहा गया है कि 3 साल तक मृत लोगों के नाम पर भी पेंशन बांटी जाती रही और किसी ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया। वहीं 50053 पुरुष और 59151 महिलाएं, जो कम उम्र के कारण बुढ़ापा पेंशन के हकदार नहीं थे, को भी पेंशन दी जाती रही। इनके अलावा 76848 लोगों के नामों के साथ उनकी जन्म तिथि ही दर्ज नहीं की गई। रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया गया है कि एफएडब्ल्यूडी स्कीम, जो केवल महिलाओं के लिए है, में 12047 लोगों को पुरुष बताया गया है। वहीं 23754 व्यक्ति, जिनकी उम्र 18 वर्ष से कम थी, इस स्कीम के तहत वित्तीय लाभ के योग्य नहीं थे।
अयोग्य में सबसे ज्यादा मामले पटियाला से सामने आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, पटियाला में 6455, लुधियाना में 1871, रोपड़ में 629, शहीद भगत सिंह नगर में 204, एसएएस नगर मोहाली में 698 अयोग्य लोगों का पता चला। इनके बीते 3 वर्षों से पंजाब में रहने संबंधी सेल्फ डिक्लेरेशन (स्वयं घोषणा) भी फर्जी पाए गए।
डुप्लीकेट लाभार्थियों को बांटे 9.89 करोड़
कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि 8286 डुप्लीकेट लाभार्थियों को अतिरिक्त लाभ पहुंचाते हुए अप्रैल, 2017 से जुलाई, 2020 तक 9.89 करोड़ का भुगतान किया गया। रिपोर्ट में कहा गया कि राज्य सरकार की ओर से तैयार दिशा-निर्देश के अनुसार, एक आवेदक केवल एक तरह की ही सामाजिक सुरक्षा पेंशन ले सकता है। इसके बावजूद 2226 महिलाएं, जिनके पिता का नाम, आधार नंबर या बैंक खाता नंबर एक था, को दोनों स्कीमों- ओएपी और एफएडब्ल्यूडी स्कीम के तहत वित्तीय मदद दी जाती रही। यह सारी राशि जनवरी 1996 से 2020 के दौरान मंजूर की गई।