चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन की गिनती देश के फर्स्ट क्लास रेलवे स्टेशन में होती है। रेलवे स्टेशन पर छह प्लेटफार्म हैं जहां पर रोजाना 50 से ज्यादा गाड़ियों (ट्रेनों) का संचालन होता है।इन ट्रेनों में रोजाना आठ से 10 हजार यात्री सफर करते हैं। बावजूद चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन यात्रियों की सुरक्षा भगवान के भरोसे है।

 

जी हां, चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पर लगे 35 सीसीटीवी कैमरों में से ज्यादातर सीसीटीवी कई महीनों से खराब पड़े हुए हैं। आरपीएफ और जीआरपी की तरफ से कई बार इन सीसीटीवी कैमरों को बदलने की मांग की जा चुकी है, लेकिन अभी इनके भेजे गए डिमांड लेटर फाइलों में ही धूल फांक रहे हैं। सवाल यह है कि दो राज्य की राजधानी और हिमाचल-जम्मू कश्मीर का गेटवे कहे जाने वाले चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पर इस तरह की लापरवाही कहां तक जायज है।

दिन में भी रिकार्ड होती है धुंधली फुटेज

 

सुरक्षा जरूरतों को समझते हुए रेलवे अधिकारियों ने चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पर साल 2009 में सीसीटीवी कैमरे इंस्टाल करवाए थे। उस समय भी यह कैमरे हाईटेक कैटेगरी में नहीं थे। आलम यह है कि दिन के समय में भी इन कैमरे में रिकार्ड हुई फुटेज इतनी धुंधली होती है कि जरूरत के समय कभी कैमरों की धुंधली फुटेज आरपीएफ या जीआरपीएफ के काम नहीं आ सकती। इसके अलावा टिकट काउंटर पर लगे मूविंग कैमरे भी सालों से एक ही जगह पर खड़े हैं। इन सीसीटीवी की हद में पूरा टिकट काउंटर कवर नहीं होता है। इतना ही नहीं रात होते ही यह सीसीटीवी कैमरे पूरी तरह से बेकार साबित होते हैं।

 

रोजाना 6 आरपीएफ जवान इसी में रहते हैं अंगेज

 

रेवले स्टेशन पर सीसीटीवी की फुटेज रिकार्ड करने और इन कैमरों से स्टेशन की निगरानी करने के लिए हर समय दो से तीन जवानों की ड्यूटी लगाई गई है। जो स्पेशल रूम में ड्यूटी पर तैनात रहते हैं। ऐसे में 24 घंटों में पांच से छह आरपीएफ के जवान इसी में व्यस्त रहते हैं। ड्यूटी देने वाले आरपीएफ सुरक्षाकर्मी भी मानते हैं कि रेलवे स्टेशन पर नए सीसीटीवी कैमरों को इंस्टाल करने की सख्त जरूरत है। आरपीएफ अधिकारियों की मानें तो चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पर 98 नए कैमरे लगाने का प्रस्ताव अंबाला मंडल में भेजा है। इसका बजट भी मंजूर हो गया था। बावजूद इसके यह सीसीटीवी कैमरे अभी तक नहीं लगे हैं।

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