वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के जोखिम को कम करने के लिए वैश्विक स्तर पर क्रिप्टोकरंसी नियंत्रित करने के लिए कानून बनाने पर जोर दिया।

वाशिंगटन में आज आईएमएफ द्वारा आयोजित एक चर्चा में भाग लेते हुए, वित्त मंत्री ने कहा कि जब तक क्रिप्टो संपत्ति की गतिविधि गैर-सरकारी अनहोस्टेड वॉलेट के माध्यम से होती है, तब तक क्रिप्टो को नियंत्रित करना बहुत मुश्किल है। लेकिन, सेंट्रल बैंक द्वारा संचालित डिजिटल मुद्राओं के माध्यम से देशों के बीच भुगतान बहुत आसान और प्रभावी हो जाएगा।

उन्होंने कहा “गैर सरकारी वॉलेट पर जब तक सभी देश समान रूप से कानून नही बनाएंगे तब तक कोई भी कानून प्रभावी नही होगा। क्रिप्टो का उपयोग करने वाला कोई भी देश सोचता है कि वो इसे अकेले संभाल सकता है तो यह संभव नही है। जब तक क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने और समझने के लिए एक वैश्विक दृष्टिकोण नहीं होगा, तब तक मनी लॉन्ड्रिंग का जोखिम है। क्रिप्टोकरेंसी को आतंक के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है”।

क्रिप्टोकरेंसी के लेनदेन से उत्पन्न आय पर कर लगाने के संबंध में, उन्होंने कहा कि यह स्रोत और प्राप्तकर्ता की जांच करने का एक साधन है, लेकिन उन्हें वैध बनाने का नहीं।

सरकार ने बजट 2022-23 में क्रिप्टोकरेंसी के लेनदेन से आय पर 30 प्रतिशत कर का प्रस्ताव रखा और एक निश्चित सीमा से ऊपर के ऐसे सौदों में लेनदेन पर 1 प्रतिशत टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) भी लगाया है।

वित्त मंत्री ने कहा “हमने घोषणा की थी कि इन क्रिप्टो संपत्तियों के लेनदेन से उत्पन्न आय पर 30 प्रतिशत और उससे अधिक पर कर लगाया जाएगा, स्रोत पर 1 प्रतिशत कर कटौती है जो प्रत्येक लेनदेन पर भी लगाई जाती है। इसलिए इसके माध्यम से हम यह जान पाएंगे कि इसे कौन खरीद रहा है और कौन बेच रहा है।”

ज्ञात हो वित्त वर्ष 2022-23 में भारतीय रिज़र्व बैंक ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग करके केंद्रीय बैंक समर्थित डिजिटल मुद्रा के साथ आने की योजना बना रहा है।

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