क्योंकि पीजीआइ चंडीगढ़ देश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थानों में से एक है। वहीं पीजीआइ के न्यूरोसर्जरी विभाग की लापरवाही की वजह से एक पिता ने अपने बेटे को खो दिया था।पीजीआइ की लापरवाही की वजह से चंडीगढ़ के मौलीजागरां के राजीव शर्मा के बेटे राज शर्मा की 2017 में मौत हो गई थी। राजीव ने पीजीआइ के खिलाफ 2019 में उपभोक्ता आयोग में शिकायत दी थी, जिसमें आयोग ने आदेश दिया था कि पीजीआइ राजीव को 50 हजार मुआवजा देगा और 20 हजार रुपये हर्जाना।
इस आदेश को पीजीआइ ने चंडीगढ़ स्टेट कमीशन में चुनौती देते हुए साल 2020 में याचिका लगाई थी। अब स्टेट कमीशन ने याचिका को खारिज कर दिया है। कमीशन ने कहा कि पीजीआइ जैसे बड़े चिकित्सा संस्थान में उपचार के दौरान लापरवाही बरतना शर्मनाक बात है। मरीज बहुत उम्मीदें लेकर यहां आते हैं। अगर डाक्टर ही ऐसी लापरवाही बरते तो फिर मरीजों का क्या होगा।
राजीव ने अपनी शिकायत में बताया था कि उसके बच्चे के दाहिनी गुर्दे में पथरी थी और साल 2011 से इसका उपचार पीजीआइ में चल रहा था। बच्चा अटलांटो अक्षीय अव्यवस्था से पीड़ित था और इस कारण वह कई वर्षों तक बिस्तर पर ही रहा। उसकी इस बीमारी का उपचार पीजीआइ के न्यूरोसर्जरी विभाग में चल रहा था।